टमाटर (सोलनम लाइकोपर्सिकम एल.) भारत में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सब्जी फसल है। टमाटर वर्ष भर उगाया जा सकता है। इसकी खेती 98.78 लाख टन के उत्पादन के साथ 5.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है। औसत उत्पादकता लगभग 16.6 टन/हेक्टेयर है। मुख्य टमाटर उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक और बिहार हैं।
टमाटर की खेती करते समय इसकी फसल के साथ कई तरह के खरपतवार उग जाते है जो फसल को काफी हानि पहुंचते है। इसलिए समय – समय पर निराई कर खेत को अच्छे से साफ रखें।
टमाटर में कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते है। इस फल में आयरन और लाइकोपीन नामक तत्व भी मिलता है। इस फल, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, बी और सी का अच्छा स्रोत है।
फसल-उत्पादन मॉड्यूल में आवश्यक मिट्टी और जलवायु, भूमि की तैयारी, जैविक कारकों का उपयोग, पौध की तैयारी और बीजों का दर, रोपाई, टपक (ड्रिप) सिंचाई, उर्वरक और खाद, अंतर सस्य क्रिया, टेक देना और खरपतवार निकालना, पलवार (मल्चिंग) और पत्तों के द्वारा पोषक तत्व देना शामिल हैं।
अधिक पढ़ेंबीमारी-प्रबंधन मॉड्यूल में टमाटर की फसल को लगने वाली बीमारियों, जैसे पौध का मुरझाना, अगेती अंगमारी, पछेती अंगमारी, पाउडरी मिल्ड्यु, फ्युसेरियम झुलसा, जीवाणु झुलसा, टमाटर पत्ती मोड़क विषाणु, सेप्टोरिया पत्ती धब्बा आदि के बारे में इनके नियंत्रण के उपायों के जानकारी दी गई है।
अधिक पढ़ेंकीट-प्रबंधन मॉड्यूल में फल-छेदक से नुकसान, पत्ती-सुरंगक से नुकसान, सफ़ेद मक्खी और लाल मकड़ी कुटकियाँ से नुकसान आदि के संक्रमण की जानकारी मिलती है। इस मॉड्यूल में उपयोगकर्ताओं को अपनी फसल की बचाव हेतु इनके चित्र और इनके नियंत्रण के उपाय शामिल हैं।
अधिक पढ़ेंटमाटर की खेती करने वाले किसानों और इससे जुडे अन्य साझेदारों के फ़ायदे के लिए आई.आई.एच.आर द्वारा विकसित टमाटर की किस्मों और वर्षा-आधारित खेती, प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त और जीवाणु झुलसा एवं टमाटर के पत्ती मोड़क विषाणु के प्रतिरोधी किस्मों के बारे में भी जानकारी दी गई है।
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